लघुकथा : झेंप
जानी मानी समाज सेविका निर्मलाजी चाय की चुस्कियां ले रही थीं. उनका बारह साल का पोता बड़े उत्साह से समाचारपत्र में छपा उनका साक्षात्कार पढ़ कर सुना रहा था. सभी बच्चों के शिक्षा के अधिकार पर उनके विचार पढ़ कर उसने सवाल किया “क्या बबलू अब घर के काम छोड़ कर पढ़ने जाएगा.” पास ही खड़े बबलू ने आशा से उनकी ओर देखा. इस सवाल पर निर्मलाजी झेंप गईं. अपने पोते को पढ़ने भेज कर उन्होंने बबलू को बैठक की सफाई का आदेश दिया.
— आशीष कुमार त्रिवेदी