कलिका कमरे में सिकुड़ी हुई सी बिस्तर पर बैठी थी। कमरे के बाहर से जाम टकराए जाने की आवाज़ आ रही थी। साथ में गूंज रही थी वह हंसी जो किसी भद्दे चुटकुले के बाद उन दोनों दोस्तों के कंठ से फूट रही थी। अब तो कई महीने बीत गए थे उसे यह सब सहते। […]
Author: *आशीष कुमार त्रिवेदी
हुनर
अभी सूरज उगने में समय था। मंजुला आज जल्दी जाग गई थी। बल्की सच तो यह था कि रात भर सोई ही नहीं थी। भविष्य की चिंता ने उसे सोने ही नहीं दिया था। जब उसने अपने बगल में सोए दो साल के अपने बेटे को सोते देखा तो उसकी नींद आँखों से गायब हो […]
जीवन की सार्थकता
जीवन की सार्थकता मुकेश बहुत उदास से कमरे में बैठे थे। उन्हें लग रहा था कि जैसे उनका जीवन ही व्यर्थ हो गया। उनके पास धन दौलत अधिक नहीं थी। प्रोफेसर के रूप में जो कमाते थे उसमें से एक हिस्सा समाजिक कल्याण के लिए रहता था। कॉलेज के होनहार छात्रों को मुफ्त में ट्यूशन […]
सामंजस्य
निर्मला ऑनलाइन हिंदी की क्लास में सामंजस्य शब्द का अर्थ समझा रही थी। “बच्चों सामंजस्य का मतलब होता है तालमेल बिठाना। मतलब अपने आसपास के वातावरण व लोगों के साथ इस प्रकार संबंध बनाना कि हम और हमारे आसपास सभी शांति से रह सकें।” एक बच्चे ने पूछा, “मैम पाठ में कहा गया है कि […]
गिरगिट
नव्या की ज़िंदगी में कुछ सही नहीं चल रहा था। सरकारी नौकरी के लिए कई परीक्षाएं दीं। कुछ में असफल रही। कुछ के परिणाम अभी तक नहीं आए थे। इसी बीच उसकी शादी की बात चली। सांवले रंग की भरपाई के लिए गाड़ी की मांग हुई। वह उसके पिता की क्षमताओं के बाहर था। बात […]
दाल में नमक
दसवीं कक्षा के छात्र विपिन ने अपने दोस्त को बताया कि वह रविवार को कुछ लड़कों के साथ घूमने जाएगा। उसके दोस्त ने पूछा कि क्या उसके घरवालों ने इजाज़त दे दी है। इस पर विपिन ने कहा, “इजाज़त मांगूंगा तो नहीं देंगे। कह दूँगा कि इम्तिहान आने वाले हैं। इसलिए एक्स्ट्रा क्लास है।” उसके […]
ज़िद्दी बीज
दीप्ती ने अपनी दादी के मेकअप को अंतिम टच देकर कहा। “वॉओ…दादी…यू आर गोइंग टू रॉक इट..” सपना ने भी खुद को आईने में देखा तो सोलह साल की वह सपना दिखी जिसका स्टेज पर जाने का ख्वाब अधूरा रह गया था। लेकिन आज पोती बासठ बरस की सपना की वह ख्वाहिश पूरा करने जा […]
ना का मतलब ना
शिल्पा का मन क्लास में जो पढ़ाया जा रहा था उसमें नहीं था। वह परेशान थी। क्लास खत्म होने के बाद फिर उसका सामना करना पड़ेगा। पिछले कई दिनों से फिर वह कोचिंग के बाहर खड़े होकर उसका इंतज़ार करता था। जब वह घर जाने के लिए निकलती थी तो उसका पीछा करता था। एकांत […]
प्रतीक्षा
रीमा सामने बैठे सचिन को ताक रही थी। अचानक सचिन की निगाह पड़ी तो आँखों ही आँखों में उसने पूँछा ‘ऐसे क्यों ताक रही हो?’ रीमा ने अपनी आँखें झुका लीं। तभी अंदर जाने का बुलावा आया। भीतर पहुँच कर दोनों ने रजिस्ट्रार के सामने दस्तखत किए। गवाहों ने भी दस्तखत किए। दोनों ने एक […]
बदलाव
सारिका दस साल बाद अपनी बड़ी बहन के घर आई थी। विदेश में अपने बच्चों के पास रहने के कारण अपने बहनोई की मृत्यु पर भी नहीं आ सकी थी। सारिका महसूस कर रही थी कि उसकी बड़ी बहन मे बहुत से बदलाव आ गए थे। पहले वह हफ्ते में चार दिन उपवास रखती थी। […]