शिशुगीत

शिशुगीत – २३

१. ढोलक

शादी में बजता ढोलक
ढम-ढम ढम-ढम, ढक-ढक, ढक
हम बच्चे इसपर नाचें
ता-ता थैया, टक-टक, टक

२. शादी

शादी चाचा की आएगी
प्यारी सी चाची लाएगी
इतना उनको प्यार करेंगे
खुश हो टॉफी दिलवाएगी

३. शहनाई

प्यारी धुन वाली शहनाई
शादी इसके बिना न भाई
रौनक ये है खूब बढ़ाती
इसके बजते मस्ती छाई

४. डीजे

डीजे मुझे न भाता है
केवल शोर बढ़ाता है
पार्टी का भी मजा खराब
पूरा घर हिल जाता है

५. इत्र

शादी में जब भी तुम जाओ
सबसे पहले खूब नहाओ
दम घुटने लग जाए सबका
इतना भी मत इत्र लगाओ

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन