कविता

क्यो बदली सी है निगाहे तेरी

क्यो बदली सी है निगाहे तेरी
क्यो रूखी-रूखी सी है चाहते
क्यो भिगी-भिगी है पलके तेरी
क्यो दिल में बढ गयी है नफरते
फिर भी मुझे तुमसे ही क्यो
मिलने की चाह है
तेरे बिन एक पल भी
अब गवारा नही
ये दिल भी धडकता है तेरे लियें
अश्क भी निकलते है
सिर्फ तेरे याद में
ख्वाब मे ही तु ही आते हो
फिर ये नखरे क्यो दिखाते हो
एक बार कह क्यो नही देते
दिल की बात बता क्यो नही देते
क्या राज छुपायें हो मुझसे
ये हमे समझा क्यो नही देते
तु भी तन्हा मै भी तन्हा
फिर क्यो है ये फासला
मिटा कर सभी दूरियॉ तुम
पास क्यो आते नही|
  निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४