कवितापद्य साहित्य

कविता

सागर पर्वत दरिया पादप, सुंदर हर झरना नाला

थे सुन्दर वन जंगल जैसे, हरा पीला फूल माला |

शुद्ध हवा निर्मल जल धरती, सब प्रसाद हमने पाया

काला धुआँ दूषित वायु सब, हैं स्वार्थी मनुष्य जाया ||

 

पागलों ने काट पौधे सब, वातावरण को उजाड़ा

बे मौसम अब वर्षा होती, बे मौसम गर्मी जाडा |

ववंडर कहीं तूफ़ान कहीं, है प्रदुषण का नतीजा

कहीं सुखा तो कही जल प्रलय, होगी विध्वंस उर्वीजा* ||

 

समझे नहीं इंसान अब तक, अब तो समझना पडेगा

वरना बहुत देर न हो जाय, तब जीवन खोना पडेगा |

हवा पानी सब प्रदूषित है, सुरक्षित नहीं है दिल्ली

इन्द्रप्रस्थ बन गया अब तो, सब मूढ़ का शेखचिल्ली ||

*उर्वीजा –जो पृथ्वी से उपजा हो

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !