गीतिका
लगता तो यही कि हम पहली बार मिले हैं
मिलना विछुड़ना जन्म जन्म के सिलसिले हैं |
चाहता रहा सदा प्यार का इज़हार करूँ
न जाने संकोच से ये लबे क्यों सिले हैं |
जब से मिले है हम दिल में वसंत छा गया
मन उपवन में देखो फुल अनेक खिले हैं |
कदम से कदम मिलाकर ज्यों चलतें हैं साथ
साथ हमारा चले खुशियों के काफिले हैं |
जिंदगी बदलती है रंग शुरू से अंत तक
रंग बदलता जीवन में तो बहुत गिले है |
जनता से करते वादे, जनता के नेता
टूटे वादे पुन पुन ,बन गये सिलसिले हैं |
© कालीपद ‘प्रसाद’