कविता : अप्सरा
तुझे देख चांद जलता होगा
चांदनी को तू चिढ़ाती होगी ।
सूरज को लाली देकर
तू हवाओं को महकाती होगी ।
फूलों में रंग भरकर
तू कलियों को खिलाती होगी ।
बादलों से आस्मां ढक
नदियों को जल से नहलाती होगी ।
तेरी चंचलता चिड़ियों को चहकाती
तेरी मुस्कान कवियों को भाती होगी ।
तू इन्द्रलोक की कोई अप्सरा
तू क्या जाने कैसे
हरदिल पे तेरी मदहोशी छाती होगी ?
— मुकेश सिंह
0970683045