तू
कैसे समझाउं की तू अलग है सबसे
बिल्कुल निराली है तू इस जग से ।
तेरी आंखों में गजब सा नशा है
तेरी बातों में एक अजब सा मजा है ।
तेरे लहराते बालों में खुमारी है
जग में तू सबसे प्यारी है ।
झील सी तेरी आंखें सूरज की किरणें समेटे हैं
चेहरे पे जैसे तुमने चांदनी लपेटे हैं ।
गुलाब की पंखुरियों से लब तेरे
प्यार की मदिरा से भरे हैं ।
तू अलग है ,अलबेली है
तू तितलीयों की सहेली है ।
प्रकृति की धड़कन है
सौन्दर्य का दर्पन है ।
तुझपे हजारों कविताएं लिख जाएं
तुझे पाने को हम खुद बिक जाएं ।
तू इतनी भोली तू इतनी प्यारी है,
शायद तू परियों की राजकुमारी है ।।
— मुकेश सिंह
सिलापथार,असम
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