आशाओं के दीप जलाये रखिए
आशाओं का दीप जलाए रखिए
मन मन्दिर जगमगाए रखिए
खुशी आयेगी जरूर कभी न कभी
चुन राहों में फूल बिछाए रखिए
थककर पलकें झपकेंगी जभी
नयनों में स्वप्न सजाए रखिए
जो काम बाकी पड़े हैं अभी तक
फुर्सत के क्षण निपटाए रखिए
प्रतीक्षा घड़ी खत्म होगी कभी
हृदय को धीरज बंधाए रखिए
© किरण सिंह