गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

क्यों लगे अब खुशी अधुरी सी है।
रिशतों में भी बेरूखी सी है।

लगे पैसा ही सब कुछ जहां में;
हर शख्स की यूं बन्दगी सी है।

काश! सपनो का भारत हो भला;
यूं हर चेहरे पे खुशी सी है।

दीपक बुझा के ओर के घर का;
अब रोशनी खुद की बुझी सी है।

“कामनी” राह सही भले मुशकिल;
उसी से ज़िन्दगी महकी सी है।

कामनी गुप्ता***
जम्मू!

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |