हास्य व्यंग्य : प्रेम का उदारीकरण और दिल का बीमा
प्रकृति का नियम है कि जिस चीज का बार-बार उपयोग होगा वह घिसकर लघुकाय हो जाएगी और घिसते-घिसते अंततः समाप्त हो जाएगी. कुछ यही हाल दिल, प्रेम, इश्क, मोहब्बत का हो गया है. माया नगरी के सितारों ने इन शब्दों को इतना घिस दिया है कि अब ये शब्द अपना अस्तित्व खो बैठे हैं. आदमी के अंदर दिल को खोजना बालू से तेल निकालने के समान है. अब इसकी आवश्यकता भी नहीं है. अरे भाई, जब दिल होगा तो वह धड़केगा ही, उसमें संवेदना, भावना जैसी कुछ बेमतलब-बेकार रोग लगे रहेंगे. इन बेमतलब के रोगों को लेकर विकास के फटाफट दौर में टिक पाना मुश्किल होगा. आनेवाला समय प्रगति का ‘एक्सप्रेस वे’ होगा जहां हाल-ए-दिल सुनने -सुनाने का समय नहीं होगा. लोग अपने भीतर दिल जैसी फालतू चीज को स्थान नहीं देंगे. यत्र -तत्र -सर्वत्र ‘दिल बैंक’ खुल जाएंगे. जब दिल की जरूरत पड़ेगी तो लोग बैंक से किराए पर दिल ले लेंगे और जब दिल देने की जरूरत महसूस होगी तो बैंक को किराए पर दे देंगे.
यह क्या बात हुई कि मुफ्त में दिल दिया – न कोई किराया, न कोई अन्य व्यापारिक- मौद्रिक लाभ. भविष्य में यह भी संभव है कि वैज्ञानिकों का अनुसंधान फलीभूत हो जाए और दिल डिब्बाबंद पेय के रूप में बाजार में उपलब्ध हो जाए. टोमैटो सॉस की भांति हार्ट सौस, मोहब्बत की चटनी और इश्क का आचार भी मिलने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं. अब इश्क भी ग्लोबलाइज होने लगा है. अमेरिका अब प्रेम, मोहब्बत, दिल इत्यादि का पेटेंट कराने पर विचार कर रहा है. अब इश्क फरमाने से पूर्व अमेरिका की अनुमति लेनी होगी. प्रेमालाप संबंधी संपूर्ण शब्दावली पर अमेरिका का आधिपत्य होगा. उदारीकरण के इस युग में प्रेमालिंगन नि:शुल्क नहीं, बल्कि सशुल्क होगा. अखिल विश्व में व्यापार समझौता लागू हो चुका है. इसलिए वैश्विक प्रेम और उदारीकृत दिल का विपणन (मार्केटिंग) अमेरिका करेगा क्योंकि वह विश्व विजेता और चक्रवर्ती साम्राज्य है.
भविष्य में लोगों की व्यस्तता और बढ़नेवाली है. आदमी के पास दिल की गहराइयों अथवा गांव की अमराइयों में प्रणय गीत गुनगुनाने का समय नहीं होगा. ह्रदय का आह्वान सुनने अथवा दिल का विनिमय करने के लिए नदी के एकांत तट पर गीत गुनगुनाने एवं मेघ में भीगने का उबाऊ कार्यक्रम बीसवीं सदी को मुबारक. भावी समय में सुविधाओं का ‘सुपर बाजार’ विकसित होगा. मैरिज ब्यूरो की भांति हर नुक्कड़ पर ‘लव ब्यूरो’ खुलेंगे जिसके एजेंट घर -घर घूमकर दिल की ‘होम डिलीवरी’ देंगे. प्रेम उद्योग भविष्य में सबसे लाभप्रद अंतर्राष्ट्रीय उद्योग बन जाएगा और लाखों लोग इसमें रोजगार प्राप्त करेंगे. अनुराग प्रकट करने के लिए वातायन खोलकर घंटों का आतुर इंतजार ! यह तो अनुसंधान का विषय होगा. शोधकर्ताओं के लिए बीसवीं सदी के प्रेमी -प्रेमिका आश्चर्य नहीं, बल्कि शोध के विषय होंगे जिन्हे ‘हम तुमसे प्यार करते हैं ‘जैसा अति लघु वाक्य बोलने में बरसों बीत जाते थे.
एक दिवसीय क्रिकेट की तरह एक दिवसीय विवाह पद्धति की लोकप्रियता बढ़ेगी. परंपरागत शादी, मंडप, महावर, सात फेरे, लग्न आदि इतिहास के पन्नों में रह जाएंगे. धोती-कुर्ते की तरह प्रेमी-प्रेमिका और पति-पत्नी बदले जाएंगे. फैक्स और ईमेल द्वारा प्रणय संदेश भेजना तो आम हो गया है. भावी पीढ़ी को इस तरह के संदेश भेजने की जरुरत नहीं होगी. महिलाएं बच्चों को जन्म देना बंद कर देंगी और रोबोट को गोद लेने लगेंगी. नया आचारशास्त्र होगा, नया नीतिशास्त्र. प्रेम की अभिनव परिभाषा होगी, नई उपमाएं होंगी और उपमान भी नए होंगे. परंपरागत उपमान खारिज कर दिए जाएंगे. सदाबहार प्रेमी अपनी नित नूतन प्रेयसियों के लिए नए-नए उपमानों का प्रयोग करेंगे. मृगनैनी, कमललोचनी, मीनाक्षी आदि आउटडेटेड उपमानों की जगह प्रेमिकाओं को कंप्यूटर नयनी, फैक्सबैनी, रोबोटजननी से संबोधित किया जाएगा. पुराने मुहावरे बासी पड़ जाएंगे. न दिल लगेगा, न टूटने पर प्रेमी -प्रेमिकाओं के आंसुओं की बाढ़ आएगी. दिल की दुनिया न बसेगी, न उजड़ेगी, सदाबहार बनी रहेगी. दिल का बीमा होगा, इसलिए उसकी चोरी का भय नहीं होगा और यदि बीमाकृत दिल की चोरी भी हो गई तो बीमा कंपनियां उसका हर्जाना दे देंगी.