वज़ूद
घर मेरा है
चलेगी मर्जी मेरी
स्व का सोचना
छी खुदगर्जी तेरी
पुरातन ख्याल
वजूद पर सवाल
दिल को जलाता
सकूं मिटा जाता
उधेड़े पत्ती पत्ती
ज्ञान अनावर्त्ती
सत झंझकोरता
ज्ञान हिलोरता
बिना स्व बिखेरे
धन्यवाद बोल तेरे
महक आती
नर्गिसी फूलों
चहक जाती
धमक शूलों