गीत/नवगीत

इतिहास दोहराया है…

(प्रधानमंत्री मोदी जी के “गोवा भाषण” पर कविता)

आज फिर से एक बार,
इतिहास दोहराया है
छिनी घास की रोटी देख,
राणा का मन घबराया है |
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प्रधानमंत्री जी का भाषण,
गोवा से जो आया है
‘कवि’ ने पीथल बन करके,
अपना कर्त्तव्य निभाया है |
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क्यों घबराते हो शेरे-दिल,
56 इंची सीना हो तुम
क्यों करते मरने की बातें,
विश्व रची हिना हो तुम |
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कमजोर बातें दुश्मन में,
फिर से हौंसला भर देगी
फँसे जाल में कारगुजारी,
ये बातें उनको ‘पर’ देगी
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उड़ जायेंगे सभी कबूतर,
काला धन लेकर नभ में
आश जगी थी तुमको लेकर,
निराशा पनपेगी सब में |
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भारत माँ के वीर पुत्र,
क्यूँ कमजोरी लाते हो
देश खड़ा है साथ तुम्हारे,
क्यूँ गीत पीर के गाते हो |
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आना है तुम्हें बार-बार,
दु:ख माता का हरना है
छट जायेंगे काले बादल,
अब प्रचंड सूर्य बनना है |
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धन्य हुई है तुमको पाकर,
मुदित हुई है भारत-माता
करके अच्छे काम महाशय,
बन जाओ तुम भाग्य विधाता |
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विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’
कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी, स.मा.(राज.)322201
मोबा:-9549165579

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201