नरेन्द्र मोदी- एक करिश्माई व्यक्तित्व
कालाधन,भ्रष्टाचार व आतंकवाद पर एक साथ तिहरा प्रहार करते हुए देश में 500 व 1000 हजार रूपये के नोटों पे प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ही हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आन्तराष्ट्रीय मीडिया में छाये हुए हैं । हर तरफ बस उन्ही की बातें हो रही हैं । यहां तक की हमारे चिरप्रतिद्वन्दी चीनी व पाकिस्तानी मीडिया भी मोदी के तारीफों के पुल बांध रहें हैं । सारी तकलीफें सहकर भी देश की 125 करोड़ जनता अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़ी है । आज मोदी की कार्यकुशलता व देशप्रेम ने सबको नतमस्तक कर दिया है । आज नरेन्द्र मोदी का व्यक्तित्व हर किसी को एक अंजाने मोहपाश में बांध रहा है और संपूर्ण देश के लिए गौरव का कारण बन रहा है ।
आज पूरा देश एक स्वर में मोदी के देशप्रेम व राष्ट्रवाद को स्वीकार कर रहा है । पर हकीकत ये है कि यह व्यक्तित्व उन्होने एक दिन में हासिल नहीं की है बल्की ये उनके कठिन साधन का फल है । ऊनके विषय में कहा जाता है कि उन्होने किशोर काल में ही देश सेवा के उद्देश्य से घरबार छोड़ा था । वर्षो अपने परिवार व अपनों से दूर रहे। नई नवेली दुल्हन तक का त्याग किया । कठिन से कठिन साधना की । क्योंकि उसके मन में सिर्फ एक उद्देश्य था और है और वो है मातृभूमि की सेवा । अपने देश की निस्वार्थ सेवा । और फिर जब वह बिना किसी निजी महत्वाकांक्षा के देश की जनता के पूर्ण समर्थन से देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए तो कुछ लोगो को उनकी लोकप्रियता खटकने लगी। और आज आलम यह है कि पड़ोसी देश से संपर्क रखने वाले देश के दुश्मनों के साथ ही अपने ही देश के बहुसंख्यक दल और नेता देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के विरोध में इस तरह लामबंद हो गए हैं कि उन्होने सारी राजनैतिक आदर्शों की तिलांजलि दे दी है । अपने राजनैतिक भविष्य के लिए देशहित को भी पीछे छोड़ दिया है ।
राजनीति में वैचारीक मतभेद आवश्यक है पर किसी व्यक्ति विशेष से व्यक्तिगत ईर्ष्या एक चिंता का विषय है । और उससे भी अधिक परेशानी योग्य बात है देश के प्रधानमंत्री का जनता की दरबार में खड़ा होकर भावुक स्वर में अपने प्राणों के संकट की बात करना । आज देश के प्रधानमंत्री ने एक सभा में बोलते हुए कहा कि वे देश की तरक्की व विकाश के लिए विरोधीयों द्वारा जलाकर मार दिए जाने तक के लिए तैयार हैं । और उनका कहा गया ये शब्द देश के प्रति उनके समर्पण व प्रेम को दर्शाने के लिए काफी है । पर साथ ही देश के लिए यह परम चिंता का विषय भी है । क्योंकि आज वर्षों बाद हमने एक ऐसा नेता पाया है जिसपे देश गर्व कर रहा है । देश उनके कदम से कदम मिलाकर चलने को आतुर है । हमारे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के मन में उपजे देश सेवा के भाव के पीछे उनका अतीत व उनकी परिस्थितियां रहीं हैं ।
हमारे प्रधानमंत्री गुजरात के एक बिल्कुल साधारण से परिवार में जन्मे हुए व्यक्ति हैं जो गरीबों की स्थिती को समझते हैं । क्योंकि बचपन के दिनों में उन्होंने स्वयं भी गरीबी को झेला है । उनके गरीबी के दिनों में उनके पिता दामोदरदास मूलचन्द मोदी रेलवे स्टेशन पर चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे और माता हीराबेन मोदी आस पड़ोस में बर्तन साफ करती थी। और इस तरह बहुत ही बुरे आर्थिक स्थिति से गुजरने वाले मोदी आज हर योजना गरीबी और गरीबों को ध्यान में रखकर बनाते हैं । वे व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के लिए कार्य नहीं करते बल्कि जनाकांक्षाओं के लिए जूझ रहें हैं । और इस बात का सबूत है जनता में उनकी लोकप्रियता और विरोधी दलों के नेताओं का उनके प्रति हद से अधिक आक्रमक होकर उनपे व्यक्तिगत हमले करना ।
राष्ट्रभक्त नरेन्द्र मोदी के मन में राष्ट्रभक्ति की भावना उनके छात्र जीवन के काल से ही समाहित हो गई थी । वे बचपन से ही राष्ट्र के प्रति समर्पित थे । वे छात्रावस्था से ही राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (R.S.S) की शाखा में नियमित रूप से जाने लगे थे और संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में कार्य करने लगे थे ।
संघ के प्रचारक होने के नाते मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण किया और लोगों की समस्याओं को करीब से समझा।1975 में देश में जब आपातकाल (Emergency) के काले बादल छाए थे, तब आर.एस.एस. जैसी संस्थाओं पर प्रतिबंध लग गया था। फिर भी मोदी भेष बदलकर देश की सेवा करते रहे और सरकार की गलत नीतियों का जमकर विरोध किया। आर.एस.एस में बेहतरीन काम की बदौलत उन्हें भाजपा (B.J.P.) में नियुक्त किया गया। फिर 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद राज्य के विकाश के लिए उन्हे गुजरात की कमान सौंपी गई। हाल ही में आए भूकंप से त्रस्त गुजरात में मोदी ने काफी कुशलता से राहत कार्य संभाला और गुजरात को फिर से मज़बूत किया। मोदी ने गुजरात को भारत का सबसे बेहतरीन राज्य बना दिया। उनके गुजरात में विकासशील कार्य, उनके प्रेरणादायक भाषण, देश के प्रति उनका प्यार, उनकी साधारण शुरुआत और उनकी सकारात्मक सोच के कारण देश की जनता ने भारी मात्रा में वोट देकर उन्हें भारत के 15 वें प्रधानमंत्री रूप में चुना । नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और अपने मंत्रीयों के साथ मिलकर
उन्होने सुनिश्चित किया है कि प्रगति की रफ्तार तेज हो और हर नागरिक को विकास का लाभ मिले। अब शासन मुक्त है, इसकी प्रक्रिया आसान हुई है एवं इसमें पारदर्शिता आई है।
पहली बार प्रधानमंत्री जन-धन योजना के माध्यम से अभूतपूर्व बदलाव आया है जिसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि देश के सभी नागरिक वित्तीय तंत्र में शामिल हों। कारोबार को आसान बनाने के अपने लक्ष्य को केंद्र में रखकर ‘मेक इन इंडिया’ के उनके आह्वान से निवेशकों और उद्यमियों में अभूतपूर्व उत्साह और उद्यमिता के भाव का संचार हुआ है। ‘श्रमेव जयते’ पहल के अंतर्गत श्रम सुधारों और श्रम की गरिमा से लघु और मध्यम उद्योगों में लगे अनेक श्रमिकों का सशक्तिकरण हुआ है और देश के कुशल युवाओं को भी प्रेरणा मिली है।
पहली बार भारत सरकार ने भारत के लोगों के लिए तीन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत की और साथ-ही-साथ बुजुर्गों को पेंशन एवं गरीबों को बीमा सुरक्षा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया बनाने के उद्देश्य से डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की ताकि प्रौद्योगिकी की मदद से लोगों के जीवन में बेहतर बदलाव लाए जा सकें।
2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री ने ‘स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में स्वच्छता के लिए एक जन-आंदोलन’ की शुरुआत की। इस अभियान की व्यापकता एवं इसका प्रभाव ऐतिहासिक है।
नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति से संबंधित विभिन्न पहल में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की वैश्विक मंच पर वास्तविक क्षमता एवं भूमिका की छाप दिखती है। उन्होंने सभी सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में अपने कार्यकाल की शुरुआत की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए उनके भाषण की दुनिया भर में प्रशंसा हुई। नरेन्द्र मोदी भारत के ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री बने जिन्होंने 17 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद नेपाल(28 वर्ष बाद) ऑस्ट्रेलिया(31 वर्ष बाद) फिजी और सेशेल्स की (34 वर्ष बाद) की द्विपक्षीय यात्रा की। पदभार ग्रहण करने के बाद से नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, सार्क और जी-20 शिखर सम्मेलनों में भाग लिया, जहां अनेक प्रकार के वैश्विक, आर्थिक और राजनैतिक मुद्दों पर भारत के कार्यक्रमों एवं विचारों की जबर्दस्त सराहना की गई। जापान की उनकी यात्रा से भारत-जापान संबंधों में एक नए युग की शुरुआत हुई। वे मंगोलिया की यात्रा करने वाले प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री हैं और चीन व दक्षिण कोरिया की उनकी यात्राएं भारत में निवेश लाने की दृष्टि से कामयाब रही हैं। फ्रांस और जर्मनी की अपनी यात्रा के दौरान वे यूरोप के साथ निरंतर जुड़े रहे।
उन्होने देश के नागरीकों की भलाई के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं आरंभ की है । और देश के विकाश के लिए कालाधन पे प्रहार करते हुए हाल ही में उन्होने 500 और 1000 रू. के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया है । जिसके परिणाम तक दिखने आरंभ हो गए हैं । लोक अपने पास रखा सारा कालाधन इधर-उधर फेंक कर बचने की कोशिस में जुटे हुए हैं । मोदी की इस कदम से भ्रष्टाचारीयों की भी सामत आ गई है । वे अपना सारा लूटा हुआ पैसा नष्ट करने की असफल कोशिस कर रहें हैं । साथ ही आतंकवाद पे भी लगाम लगाने में उनकी इस योजना का खासा प्रभाव पड़ता दिख रहा है । और देश की प्यारी जनता अपनी सारी परेशानी सहते हुए भी आज अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़ी है और उनकी प्रसंशा के कसीदें पढ़ रही है । जिससे भ्रष्टाचारी व स्वार्थ की राजनीति करने वाले लोग जल भून गए हैं और उनपे व्यक्तिगत हमले कर रहें हैं । और सायद कुछ लोग उनपे प्राण घातक हमले की तैयारी में भी जुटे हैं जिसकी आशंका स्वयं प्रधानमंत्री ने जताई है । और यह देश के लिए परम चिंता का कारण है । जिस वजह से लोग सकते में हैं व अपने प्रधानमंत्री को भावुक व परेशान देख देश की सतर्क जनता तिलमिला गई है और हर कदम पे अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़ी दिख रही है ।
अपने प्रधानमंत्री के प्रति जनता के इस प्रेम को देखकर सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आनेवाले अगले आमचुनाव में भी पूर्ण बहुमत से मोदी पुणः प्रधानमंत्री की कुर्सी पे विराजमान होंगे व देशहित में यूंही कार्य करते रहेंगे ।
मुकेश सिंह
सिलापथार (असम)
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