कविताक्षणिका

यारी अपनी निभ जाएगी

आज सुदामा आए हैं,
देख कृष्ण हर्षाए हैं,
गले मिले वे अपने मित्र से,
नैन नीर भर आए हैं.

 

रुक्मिणी जब तक पानी लाई,
आंसू से पग धो डाले,
देख मित्र की दीन दशा को,
कहा कृष्ण ने’ कुछ खा ले’.

 

कहे सुदामा, ‘खाना भूलो,
काम ज़रा-सा करना है,
मेरे नोट बदलवा दो बस,
लाइन में तुम्हें लगना है’.

 

कहे कृष्ण, ”तुम सुनो सुदामा,
यही काम बस मुश्किल है,
मेरे नोट भी पड़े यहीं पर,
बहुत दुःखी मेरा दिल है’.

 

‘कुछ दिन तक रुक जाओ प्यारे,
लाइन छोटी हो जाएगी,
तब तक चौसर खेलेंगे हम,
यारी अपनी निभ जाएगी’.
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244