मेरी पहली विदेश यात्रा
इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू नेशनल इंजीनियरिंग इंस्टीटयूट सरकारी कॉलेज के कम्प्यूटर विभाग में, सहायक प्रोफेसर पद पर कार्यरत पतिदेव को जून में अमेरिका के मिसोरी राज्य में सेंट लुइस शहर में स्थित मिसोरी यूनिवर्सटी से विजिटिंग फैकल्टी का नियुक्ति पत्र मिला तो हम लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा।अमेरिका जाने की सोच से ही मन रोमांचित हो गया था, नया देश , नये लोग और नई भाषा का विचार कर के मन खुशी से उछल रहा था।
पासपोर्ट पहले से ही तैयार करवाने से हम ज्यादातर सरकारी कार्य से बच गए थे, वीजा के लिए दो बार हम सभी परिवार सहित दिल्ली स्थित अमेरिकी एम्बेसी गये, जहाँ कार्य नियमानुसार सही समय पर पूरा हुआ और हम सभी को एक साल का वीजा मिल गया।
अगस्त के पहले सप्ताह में पहुंचना था, तो सामान आदि पैकिंग करने का समय बहुत ही
कम था। मित्रों से सलाह मशविरा कर निश्चय कर तुरत फुरत ले जाने वाले सामान की लिस्ट बनाई।नियत दिन से एक दिन
(इमिग्रेशन) फ्लाइट जाने से 4 घंटे पहले होनी है तो हम 12 बजे पहुंच गए। हवाई अड्डा पहुंच सामान आदि का वजन और कार्यवाही होने के बाद फ्लाइट की एनाउंसमेंट हुई तो बच्चे खुश हो उछलने लगे।
एयर इंडिया के प्लेन में पहुंच , एयरहोस्टेस द्वारा बताई अपनी सीट पर पहुंच , बाहर खिडकी से झाँक कर देखा तो सुबह होने को आई थी । एयरहोस्टेस द्वारा यात्रा के दौरान दी जाने वाली सूचनाओं के समाप्त होते
ूसरी ओर नीचे छूटते जा रहे दृश्यों को देख रोमांच भर गया था,दिल्ली की इमारतें बहुत ही छोटी छोटी नजर आ रही थी। मेरी यह पहली अंतरराष्टीय उडान थी तो थोडा डरी हुई थी । प्लेन के अंदर देखा तो एक आंटी आँखें
हवाई अड्डे पर पहुंचे तो मालूम हुआ कि आधा घंटा बाद सेंट लुइस के लिए फ्लाइट है तो थोडा नाश्ता लेकर प्लेन में बैठे करीब करीब
मुस्कान के साथ।लोगों का रवैया भी बहुत सहयोगात्मक और सकारात्मक है तभी मुझे लगता है इस देश के विकास और समृद्धि में
किसी दिन ठंड तो तापमान 3 और 4 डिग्री और हवा का तो पूछो ही नहीं ठंड हो या गर्म हवाएं ठंडी ही चलती हैं।सर्दियों में यहाँ तापमान -30 तक पहुँच जाता है ,ऐसे मौसम में सभी लोग खाने पीने की चीजें पहले से ही घर में इकट्ठा कर लेते हैं।