लघुकथा

घायल खिलोंनें

  रत्ना अस्पताल के बरामदे में बैठे बाहर दूसरे बच्चों के साथ बगीचे में खेलती बेटी को देख फूली नहीं समा रही थी, बेटी वर्षा का आपरेशन सफल रहा ।बगीचे की तरफ देखते देखते उसकी आँखों के आगे से एक एक घटनाक्रम चल चित्र की भाँति घूम गया, जब वो घर में ब्याह कर आई […]

कविता

बेटियाँ

” बेटियाँ ” भगवान की अदभुत देन है बेटियाँ जन्म होने पर घर-आंगन में आ जाती है बहार उसकी मुस्कराहट से चहक उठता है सारा संसार माता-पिता बेहतर भविष्य की कल्पना में, उसकी शिक्षा और विवाह के सपने संजोये दुनिया बोले बेटियाँ होती हैं पराया-धन…पर माँ पापा के दिल का टुकड़ा होती है बेटियाँ हमेशा […]

कविता

जिंदगी

जिंदगी ” पल पल का नाम होती है जिंदगी कब गुजर जाती है पता नही चलता गलतियाँ करते हुये सीख देती है जिंदगी यारों जियो ऐसे की बाद में यादगार बनें जिंदगी जन्म अगले, इंसान बने ना बने तभी तो जिंदादिली से जियो जिंदगी इतिहास बना कर जियो जिंदगी साज बनाकर जियो जिंदगी अरमान बना […]

कविता

जिंदगी

*जिंदगी* के *शायद किसी मोड़ पर* तुम्हें मेरे होने का अहसास होगा अल्फाज जो मेरे लिए कहे तुमने पछतावा भी तुम्हें होगा मेरे आँखों की नमी तुम्हारी आँखों से बारिश भी होगी जिम्मेदारियों को निभाते मौसम कब बदल जाते है ये तुम जब समझोगे तब धरती और आकाश को कोई न मिला पायेगा *शायद किसी […]

लघुकथा

अहंकार

बात बात पर स्नेहा अपने जुडँवा बेटों की बात छेड खुद को सर्वश्रेष्ठ औरत और माँ साबित करने की कोशिश करती थी, जैसे दुनिया में पहली बार जुडँवा बच्चे उसी के हुए हैं ।सभी उसके व्यवहार से परिचित हो उसे अनदेखा और उसकी बातों को अनसुना करते थे। घर मे छोटी बहू वंदना के हाल […]

लघुकथा

निर्णय

पंडित जी अत्यधिक परेशान, अशांत मन की शांति हेतु घर में बने मंदिर में रामायण लेकर बैठ गए । दिल और दिमाग में आशंकाओं का अथाह सागर हिलोरें ले रहा था क्योंकि इकलौते बेटे ने पडौसी की बेटी के साथ प्रेम में विवाह करने का वादा कर अपनी मर्यादा को तोडा था, लेकिन अब विवाह […]

लघुकथा

बरगद की छाँव

सत्या मायके की देहरी पर बैठी अतीत के झरोखे से सब कुछ स्पष्ट देख रही थी, बेटे कैलाश की बातें दिल में शोर मचा रही थी ,” माँ रिश्तों को दिल से अपनाओ नहीं तो बुढापा कष्ट और अकेलेपन में बीतेगा।” वर्तमान में देखा तो रिश्तों के नाम पर दोनों हाथ खाली नजर आये।पति के […]

कविता

हाँ मैं

हाँ मैं भावनाओं से भरी मैं बह जाती हूँ इस मतलबी दुनियां में हर रिश्ते के लिए दिन रात मरती और पिसती रहती हूँ मान सम्मान को न्यौछावर कर… खुश रहती हूँ मैं जीती हूँ सभी के सपनों के लिए ताकि अपनों को खुश रख सकूं मैं बदलती रहती हूँ अपनों के लिए भूल जाती […]

लघुकथा

आशा

” इरा, अगर दीदी समूह में शामिल होकर तुम्हारीे लघकथाएं पढ रही हैं तो मैं क्या कर सकता हूँ ? हाँ एक सुझाव जरूर दूँगा, तुम उन्हें ब्लाॅक कर दो फिर तुम्हें दिक्कत नहीं होगी ।” मानव बोला। “नहीं , उन्हें ब्लाॅक करने के बजाय लिखना ही छोड देती हूँ ।” ” ये तो ठीक […]

लघुकथा

कर्तव्य पथ

आज करूणा, सासू माँ के न रहने पर दोराहे पर खडी थी जिसकी कल्पना स्वप्न में भी नहीं की थी ।दूसरे शहर गए अभी, दिन ही कितने हुए थे, घर के सदस्यों में आपसी अहम के दौरान होने वाले क्लेश के चलते पति शिव ने आफिस से स्थानांतरण दूसरे शहर में करवा लिया, फिर तो […]