कविता

जिंदगी

जिंदगी ”
पल पल का नाम
होती है जिंदगी
कब गुजर जाती है
पता नही चलता
गलतियाँ करते हुये
सीख देती है जिंदगी
यारों जियो ऐसे की
बाद में यादगार बनें जिंदगी
जन्म अगले, इंसान बने ना बने
तभी तो जिंदादिली से जियो जिंदगी
इतिहास बना कर जियो जिंदगी
साज बनाकर जियो जिंदगी
अरमान बना कर जियो जिंदगी
अदृश्य शक्ति की अनूठी
सौगात मान जियो जिंदगी
इसके सुर में सुर मिला कर जियो जिंदगी
सोचो तो पल भर का नाम होती है जिंदगी
मुट्ठी भर रेत सी फिसलती हैं जिंदगी
यारों फिर मिले ना मिले जिंदगी
बस कुछ पल की तो है जिंदगी
खुशी खुशी जियो जिंदगी ।

 

 

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।