लघुकथा

निर्णय

पंडित जी अत्यधिक परेशान, अशांत मन की शांति हेतु घर में बने मंदिर में रामायण लेकर बैठ गए । दिल और दिमाग में आशंकाओं का अथाह सागर हिलोरें ले रहा था क्योंकि इकलौते बेटे ने पडौसी की बेटी के साथ प्रेम में विवाह करने का वादा कर अपनी मर्यादा को तोडा था, लेकिन अब विवाह के लिए मुकर रहा है, यही वजह पंडित जी को बैचैन कर रही थी आखिर लडकी की इज्जत की बात थी, इन्हीं विचारों में खोये रामायण को सरसरी तौर पर देखते हुए अचानक पास बैठी पत्नी से पूछा, “सुशीला हमें रामायण से क्या शिक्षा मिलती है?” सुशीला अचंभित हो बोली,”पंडित जी, आप तो मुझसे कहीं अधिक ज्ञाता हो , यही संदेश मिलता है कि बुराई पर अच्छाई की सदैव विजय होती है।” सुशीला के कंधे पर हाथ रख बोले, ” हमें भी अच्छाई का साथ देना होगा” और मोबाइल पर तेजी से नम्बर घुमाने लगे, सुशीला निर्णय को भाॅप समाधिस्थ हो गई,  थोडी देर पश्चात दरवाजे पर दस्तक हुई और पुलिस घर के अंदर बैठे बेटे को साथ ले गई, पंडित जी तटस्थ भाव से , बेटे को जाते हुए देख रहे थे … ….

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।