कविता

मुझे तू नज़र आया

बरसों नहीं, जिन्हें जीया मैंने जन्मों,
उन ख्वाबों के कत्ल में…
मुझे तू नज़र आया l

रेत के महल जैसे, ख्वाब मेरे बिखरे,
उस साजिश के पीछे…
मुझे तू नज़र आया l

उठी थी जब डोली, वो अर्थी थी मेरी,
अरमानों पे हँसता…
मुझे तू नज़र आया l

मुकद्दर का था खेला, जिसे मैंने झेला,
मेरी हर रुसवाई के पीछे…
मुझे तू नज़र आया l
बस तू नज़र आया ll

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed