कविता

हाँ मैं

हाँ मैं
भावनाओं से भरी
मैं बह जाती हूँ
इस मतलबी दुनियां में
हर रिश्ते के लिए दिन रात मरती
और पिसती रहती हूँ
मान सम्मान को न्यौछावर कर…
खुश रहती हूँ
मैं जीती हूँ सभी के सपनों के लिए
ताकि अपनों को खुश रख सकूं
मैं बदलती रहती हूँ अपनों के लिए
भूल जाती हूँ अपनी हर तकलीफ और दर्द
बहती हूँ बस भावनाओं में
हर रिश्ता निभाती हूँ
माँ बहन बेटी पत्नी प्रेयशी बनकर
हर पल बदलती रहती हूँ
सभी की खुशियों के लिए
सब कुछ भुलाती हूँ

संयोगिता शर्मा

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।