सास भी कभी बहु थी
हमेशा नसीहत देने वाली सास से रीमा परेशान सी सी थी हर वक्त बच्चे पालने से लेकर हर चीज में ही सलाह देती रहती और बीते वक्त में ही जिया करती थी हम ऐसे करते हमारे वक्त में वैसा होता था उनका दिन भर का गुणगान अपना ही रहता।धीरे धीरे चतुर रीमा को अपनी जगह ही अपने घर में डावांडोल लगने लगी ।
एक दिन अचानक ही सास रीमा को बुलाकर बोली “तुझे लगता है ना मैं तुम्हें हर वक्त तुम्हारे हर काम में सलाह दे दखल अन्दांजी करती हूँ पर पता है मेरी सास ने मुझे राय सलाह दी होती तो शायद आज मेरे दो बेटे होते “कहते कहते आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी ।
“ओह माजीं ,मैंने आपको कितना गलत समझा ।कितनी ही बार आपके घरेलू नुक्सों से राहुल की छोटी मोटी बीमारियों का इलाज आपने आराम से कर दिया ।मैं कितनी मुर्ख हूँ।”
“नहीं नही रीमा मैंने भी यही गलती की थी जब मैं बहु थी पर शायद मेरी सास की बातें मैंने मानी होती तो हालात अलग होते।”
“जब राहुल की शादी हो जायेगी तो हम दोनों सासे मिलकर उसकी बहू को ऐसे ही सिखायेंगे ।” सास बहू की चुहलबाजी से घर मे रौनक से समा बन्ध गया।