जीवन यापन
तन मैला है मन उजला है
रोड किनारे बस्ती बना है
नाम दिया है झुग्गी-झोपड़ी
मिलती नहीं अच्छी चुपड़ी
करते किसी तरह जीवन-यापन
नहीं रखते अन्दर अपनापन
मौज – मस्ती में रहते हैं वो
नहीं करते विकास की बातें वो
कभी वो चैन की नींद लेते हैं
कभी वो भूखे तड़पते हैं
लेकिन सीख वो दे जाते हैं
लोगों को दिखलाजाते हैं
परिस्थितिवश कैसे ढलना है।
प्रतिकूलता में कैसे रहना है
@रमेश कुमार सिंह /28-07-2016