लघुकथा
प्रवचन
वे प्रवचन सुनकर लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने लूटपाट की घटना देखी। एक व्यापारी को कुछ बदमाश लूट रहे थे।
उन्होंने प्रवचन में सुना था, ‘ संकट में फंसे आदमी की हर संभव मदद करनी चाहिए।’
‘ मैं कैसे इस आदमी की मदद करूं ? बदमाश मुझे भी मारेंगे, लूट लेंगे।’ उन्होंने सोचा।
‘ पुलिस को तो फोन कर ही सकता हूं। —- नहीं, पुलिस के लफड़े में नहीं पड़ना। वह मुझे ही तंग करेगी। —-तब क्या करें ?’
उन्हें एक पुराना प्रवचन याद आ गया, ‘ आदमी को उसकी करनी का फल मिलता है।’
इससे पूर्णतः सहमत हो वे फुर्ती से आगे बढ़ गए।
– राजकुमार धर द्विवेदी