बंटवारा
धीरज का ध्यान सुबह से ही पड़ोस में होने वाली गतिविधियों पर था. वह बड़ी बेचैनी से उधर से आती हर आवाज़ को सुन रहे था.
कुछ साल पहले हुए बंटवारे ने ना सिर्फ मकान के बीच एक दीवार खींच दी बल्कि दिलों में भी दरार पैदा कर दी. मन मुटाव इतना बढ़ा कि एक दूसरे की शक्ल देखना भी बर्दाश्त नही था.
आज सुबह जब पड़ोस से रोने की आवाज़े आईं और सारा परिवार जल्दी में कहीं निकल गया तो उसे किसी अनिष्ट की आशंका हुई. तब से ही वह परेशान था. एक कार पड़ोस में आकर रुकी. धीरज फौरन बाहर आ गया. कार से उसके छोटे भाई की पत्नी उतरी. वह रो रही थी. अब धीरज से रुका नही गया. वह सब कुछ भूल कर भाई के घर चला गया.
इतने साल बाद अपने जेठ को घर में देख उसके भाई की पत्नी आश्चर्य में आ गई.
“निर्मल को क्या हुआ” धीरज ने सीधा सवाल किया.
“जी इनका एक्सीडेंट हो गया था. बहुत खून बह गया. पर इनके ब्लडग्रुप का खून नही मिल रहा.”
“मेरा और उसका ब्लडग्रुप एक है.” कह कर धीरज ने अपने भतीजे को उसे फौरन अस्पताल ले जाने को कहा.