बोलती दीवारें
सुनाई दे रही थी आवाजें
अस्पताल की दीवारों से
मरीज़ों की दर्द से करहाती आवाजें ,
मरीजों को संभालती नर्सों की मधुर कोमल आवाजें ,
डॉक्टर के औजारों की भयावनी आवाजें ,
इधर से उधर खींचते हुए
बैड की चरमराती आवाजें,
अनेकानेक ट्रलियों की चींखती आवाजें ।
परिवार वालों व मित्रों से
बात करते लोगों की –
दर्द में भीगी आवाजें,
फोन में बतियाते लोगों की
भर्राती आवाजें ।
नीचे ऊपर जाती लिफ्ट की घरघराती आवाजें ,
प्रभु से प्रार्थना करते
लोगों की आर्द आवाजें ,
अनजान होकर भी
एक दूसरे को सांत्वना देते
लोगों की प्रेममयी आवाजें,
भिन्न राष्ट्रों की
विभिन्न आवाजों ने
आज इस अस्पताल में
भारत की एकात्मकता को
दिखा दिया ।
कन्नड़, मलयालम, कोंकणी
असमीया, बंगला, तेलगु
तमिल मराठी, गुजराती,
सबको एक सूत्र में पिरो कर भारत का नक्शा बना दिया ।
हिंदी को संपर्क भाषा बनाकर
उसका महत्व बता दिया ।
— निशा गुप्ता
तिनसुकिया, असम