समाधान
जीवन है तो नुकसान भी होगा,
समस्या है तो समाधान भी होगा।
होते हैं हर सिक्के के दो पहलु ,
दोनों को समझो तो सुकाम होगा।
बिन सोचे चिल्लाने से कुछ न होगा,
दिमाग चलाओ तो हल होगा ।
क्यों बनते हो भीड़ का हिस्सा ?
अलग पहचान बनाओ तो नाम होगा ।
बहुत इस रास्ते पर आकर चले गए ,
शायद ही कहीं उनका निशां होगा ।
कुछ छोड़ गए अपनी निशानियां ,
उन पर ही दुनिया को नाज़ होगा ।
उठाओ एक एक कदम फूंक कर ,
तभी धरा को तुम पर गर्व होगा ।
बना लो सोच को सकारात्मक ,
तभी देश और तुम्हारा उद्धार होगा ।
कर लो प्रकृति का तुम संरक्षण ,
नहीं कोई इससे बड़ा मित्र होगा ।
बहुत जी चुके हम स्वयं के लिए,
अब रक्त देश के लिए बहाना होगा।
— निशा गुप्ता
तिनसुकिया, असम