तेरे बिना
सोचा न था… जी पायेंगे… तेरे बिना
मैं भी जी रही हूँ , रिश्ते निभा रही हूँ
इस जिन्दगी के संग, आगे बढ़ती जा रही हूँ !
कमी नहीं है कोई, यूँ जिन्दगी में मुझको
पर फिर भी कुछ तो है … जो अधूरा है… तेरे बिना !!
तेरी यादों को, मैंने संजो के रखा था
तेरी खुशबू को, रूह में पिरो के रखा था !
यूँ तो कहकहे लगाते हैं, हम भी खुश होकर
पर कुछ यादें … अब भी खामोश हैं… तेरे बिना !!
कुछ मुलाकातों को, पन्नों में सजा के रखा था
तेरे जाने का दर्द, दिल में छुपा के रखा था !
अतीत के पन्ने, यूँ तो हम पलटते नहीं
पर कुछ मुलाकातें… अब भी अधूरी हैं … तेरे बिना !!
इक दिन अचानक तेरा, जिन्दगी से चला जाना
फिर बरसों बरस, लौट कर वापिस न आना !
मर ही गये थे, हम तो तेरी जुदाई में
बिन कफ़न… अब तलक जिन्दा है… तेरे बिना !!
अंजु गुप्ता