गद्दारों की टोली में
देखो हाहाकार मचा है गद्दारों की टोली में
है प्रयास में फिर भी सत्ता आ न सकेगी झोली में
कुर्सी की चाहत में इतने नीचे गिरे यकीन नहीं
शायद इनका नाम लिखा है आतंकी की गोली में
जो ना हुआ आपने भारत का किसी और का क्या होगा
इनको जिसने जन्म दिया है खुद पर शर्मिंदा होगा
यह इतने हो गए कलंकित साफ न होंगे होली में
देखो हाहाकार मचा है गद्दारों की टोली में
इनमें शामिल महिलाएं भी पाक के तलवे चाट रही
जाने क्या पाने की खातिर कहां कहां क्या बांट रही
इनको तय करना जाएंगी अर्थी में या डोली में
देखो हाहाकार मचा है जाएंगी गद्दारों की टोली में
पत्रकारिता में कलंक है नाम बड़े और दर्शन छोटे
लेकिन यह दुर्भाग्य देश में दौड़ रहे सिक्के खोटे
इनसे बेहतर वह जो रहती है झुग्गी या खोली में
देखो हाहाकार मचा है गद्दारों की टोली में
— मनोज श्रीवास्तव लखनऊ