देहरादून की वनाच्छादित पर्वतीय तपोभूमि में निर्माणाधीन भव्य यज्ञशाला
ओ३म्
हम विगत लगभग 45 वर्षों से देहरादून के वैदिक साधन आश्रम तपोवन से एक श्रोता के रूप में जुड़े हुए हैं। इस अवधि में इस संस्था से जुड़े अनेक प्रमुख व्यक्तियों से हमारे निकट संबंध एवं खट्टे मीठे अनुभव भी रहे हैं। यहां हमने स्वामी विद्यानन्द विदेह, महात्मा दयानन्द, महात्मा बलदेव जी, स्वामी सत्यपति जी, स्वामी दीक्षानन्द सरस्वती, स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, स्वामी दिव्यानन्द सरस्वती, डा. महेश विद्यालंकार, स्वामी सोम्बुद्धानन्द, आचार्य रामप्रसाद वेदालंकार, आचार्य आर्यनरेश, आचार्य उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ, डा. जयेन्द्र आचार्य आदि अनेक विद्वानों को सुना है। इस आश्रम के संस्थापक बावा गुरमुख सिंह जी के दो विश्वासपात्र व्यक्तयों श्री धर्मेन्द्र सिंह आर्य और श्री भोलानाथ जी, सहारनपुर के तो हम अत्यन्त निकट रहे हैं। वर्तमान में आश्रम में धर्माचार्य के रूप में विराजमान आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी से भी हमारा परिचय है। उनको आश्रम में, गुरुकुल पौन्धा देहरादून में और टीवी पर भी सुना करते हैं। यहां होने वाले बहुकुण्डीय यज्ञों में भी हमने विगत 40-45 वर्षों में भाग लिया है। इस अवधि में यहां जितने आर्य भजनोपदेशक आयें हैं, उनके भजनों व गीतों का श्रवण भी हमने किया है। सम्प्रति आश्रम का संचालन इसके यशस्वी प्रधान व दानवीर श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री जी, दिल्ली और यशस्वी महामंत्री इंजीनियर व दानवीर श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी द्वारा पूरी निष्ठा, समर्पण व सक्रियता से किया जा रहा है। इन दोनों आर्य महानुभावों से भी हमारे मधुर व हार्दिक स्नेहपूर्ण सम्बन्ध हैं। इस आश्रम की मासिक पत्रिका पवमान के मुख्य सम्पादक श्री कृष्णकान्त वैदिक शास्त्री जी को भी हमें सहयोग करने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। अतः इस आश्रम की प्रगति में हम सहयोग कर पायें या न कर पायें, हमें चिन्ता रहती है कि यह संस्था इसके संस्थापक बावा गुरमुख सिंह और उनके सहयोगी कीर्तिशेष महात्मा आनन्द स्वामी के भावनाओं के अनुरूप खूब प्रगति करें। यहां वर्ष भर साधकों के आने तांता लगा रहे। साधना में सब प्रगति करें और अभ्युदय व निःश्रेयस को प्राप्त हों। यह भी बता दें कि महात्मा आनन्द स्वामी ने समय समय पर यहां अज्ञातवासी होकर साधनायें की हैं। स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती, महात्मा प्रभु आश्रित, महात्मा दयानन्द, स्वामी दिव्यानन्द जी आदि अनेक योग साधकों ने भी यहां रहकर साधना की है।
फरवरी, 2016 माह में स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी के ब्रह्मत्व में तपोवन आश्रम की वनाच्छादित पवर्तीय, शान्त व निर्जन साधना स्थली तपोभूमि में चतुर्वेद पारायण यज्ञ का सफल आयोजन किया गया था। दिल्ली और देश के अनेक भागों से बड़ी संख्या में पधारे साधक व यज्ञ प्रेमियों ने यहां लगभग तीन सप्ताह रहकर चतुर्वेद पारायण यज्ञ को सफल बनाया था। स्वामी चित्तेश्वरानन्द इन आयोजनों में यज्ञ प्रेमी साधकों को कड़े नियमों में रखते हैं। वह मोबाइल फोन का प्रयोग कम से कम या न के बराबर ही कर पाते हैं। अधिकांश समय उनको मौन रहना पड़ता है। बाहर आ जा नहीं सकते। बहुत साधारण भोजन कर सन्तुष्ट रहना पड़ता है। स्वाध्याय सहित अधिक व लम्बे समय तक ध्यान लगाने का अभ्यास भी करना पड़ता है। तब भी लोग प्रसन्नतापूर्वक इन सभी तपस्याओं को करते हुए पूर्ण श्रद्धा से दोनों समय दीर्घावधि तक यज्ञ करते हैं। इस वर्ष इस आयोजन के समय हम टंकारा ऋषि बोधोत्सव में गये हुए थे। वहां से आकर अन्तिम दिन पूर्णाहुति में सम्मिलित हुए थे। इस अवसर पर हमने जो प्रवचन सुने, यज्ञ को होते हुए देखा तथा यहां के अन्य समाचारों से अपने पाठकों को अवगत कराया था। चतुर्वेद पारायण यज्ञ की पूर्णाहुति के समय स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी और यज्ञप्रेमी साधकों ने यहां एक यज्ञशाला के निर्माण की आवश्यकता अनुभव की थी। इसका प्रस्ताव बना जिसमें स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती और आश्रम के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी ने एक – एक लाख रुपये दान देने की घोषणायें की थी। बाहर से पधारे और कुछ स्थानीय सहायकों ने भी अपनी ओर से यथाशक्ति दान की घोषणा की थी। इसके बाद यज्ञशाला का मानचित्र दिल्ली के एक योग्य वास्तुविद से तैयार कराया गया। विगत अक्तूबर, 2016 माह के आश्रम के शरदुत्सव में इस यज्ञशाला का शिलान्यास स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी, स्वामी दिव्यानन्द सरस्वती, श्री दर्शनकुमार अग्निहोत्री जी, श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी आदि के कर कमलों से सम्पन्न किया गया था। अभी मात्र डेढ़ माह ही हुआ है, यह यज्ञशाला लगभग बन कर तैयार है। आज 30 नवम्बर, 2016 को इस निर्माणाधीन यज्ञशाला का लिया गया चित्र आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं। आज लिए चित्रों सहित यज्ञशाला परिसर में उपस्थित होने का हमारा जो अनुभव है, वह चित्र देखकर पाठकों को शायद नहीं हो सकेगा। हम आशा करेंगे की आगामी मई, 2017 के ग्रीष्मोत्सव व अन्य किसी अवसर पर यहां आयोजित किसी वृहत यज्ञ में आप भाग लेकर स्वयं उस आनन्द का अनुभव करें जिसका अनुभव हमने आज किया व भावी आयोजन में होने की आशा है। हम यह भी बता दें कि निर्माणाधीन यज्ञशाला की लम्बाई व चैड़ाई 50 x 50 फीट है। ऊंचाई 25 फीट है। यज्ञशाला में पांच यज्ञकुण्ड बनाये जा रहे हैं। एक मध्य में और चार उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, पश्चिम-दक्षिण और उत्तर-पश्चिम दिशाओं में होंगे। पूर्व दिशा में विद्वानों के प्रवचनों के लिए एक वेदी वा मंच भी बनाया जा रहा है। यज्ञशाला चारों दिशाओं से खुली हुई है। बीच में कोई बड़ा स्तम्भ आदि नहीं है जिससे श्रोताओं को ब्रह्मा जी, वेदपाठी, प्रवचनकर्ता विद्वान या भजनोपदेशकों को सीधा देखने में कोई असुविधा हो।
हम यह भी बता दें कि आज हम आश्रम के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा, पवमान मासिक पत्रिका के सम्पादक वैदिक विद्वान, संस्कृत-हिन्दी-अंग्रेजी-उर्दू के जानकार श्री कृष्णकान्त वैदिक शास्त्री के साथ तपोवन आश्रम से चार किमी. दूर वनाच्छादित पर्वतीय तपोभूमि में भ्रमण व यज्ञशाला का अवलोकन करने गये। मंत्री जी ने बताया कि आश्रम की लगभग 70 वर्ष पहले भूमि की जो रजिस्ट्री कराई गई थी वह 590 बीघा भूमि थी। अब वर्तमान में न्यास के पास मात्र लगभग 125 बीघा भूमि ही है। ऐसा पूर्व के कुछ अधिकारियों के कारण हुआ है। हमने भी मंत्री जी को सम्पत्ति विभाग से खरीदी गई भूमि का नक्शा प्राप्त कर न्यास की भूमि को चिन्हित करने का सुझाव दिया। इस आश्रम के न्यासी श्री महेन्द्र सिंह चैहान भूमि विषयक इस कार्य को देख रहे हैं, उनसे मिल कर भी हम इसकी चर्चा करेंगे। मत्री श्री शर्मा जी ने हमें बताया कि आश्रम व तपोभूमि के चार किमी. की दूरी में वनों का भी बहुत बड़ा भाग आश्रम का है जिसे चिन्हित कराया जाना है। सरकार ने यहां जो सड़क बनाई है उसमें भी आश्रम की भूमि का अधिकांश भाग सम्मिलित है। आश्रम एक गोशाला का संचालन भी करता है जो आश्रम व तपोभूमि के मार्ग में लगभग बीच में स्थित है। इस गोशाला में अच्छी नस्ल की अनेक गायें हैं। आश्रम तपोवन विद्या निकेतन के नाम से एक जूनियर हाईस्कूल का संचालन भी करता है जिसमें लगभग 300 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती उषा नेगी जी अध्यापिकाओं की अपनी टीम के साथ मिलकर बच्चों को वेद और आर्यसमाज के बहुत अच्छे संस्कार दे रहीं हैं जिसके हम साक्षी हैं। स्कूल में सन्ध्या एवं हवन भी होता है। अब यह नियमित हुआ करेगा। इसके साथ बच्चों को प्रतिदिन आर्य सिद्धान्तों व महापुरुषों के कार्यों से भी परिचित कराया जायेगा। इसके लिये आश्रम ने एक अनुभवी आर्य विद्वान श्री सूरत राम शर्मा को नियुक्त किया है। स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती उषा नेगी, श्री प्रेमप्रकाश शर्मा और श्री कृष्णकान्त वैदिक जी का एक सामूहिक चित्र भी हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।
हम सभी जानते हैं कि विशाल एवं भव्य यज्ञशाला के निर्माण में अधिकारियों के श्रम सहित प्रभूत धन भी व्यय होता है। यज्ञशाला पर अभी तक लगभग रू. 7.50 लाख की धनराशि व्यय हो चुकी है। अब फर्श का कार्य व यज्ञाशाला के परिसर व परिवेश को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने का कार्य शेष है जो बहुत शीघ्र ही पूरा हो जायेगा। इस कार्य में लगभग 2.50 लाख रूपये व्यय होने का अनुमान है। इस कार्य के लिए आश्रम को दान के रूप में सहयोगी ऋषि भक्तों व यज्ञ प्रेमियों के सहयोग की आवश्यकता है। आप जितना कम व अधिक सहयोग कर सकते हैं, आश्रम को देने का कष्ट करें। इसके लिए आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा से दूरभाष संख्या 09412051586 पर सम्पर्क कर सकते हैं। आश्रम की वेबसाइट [email protected] है। नैट व आनलाइन बैकिंग से सहायता व दान देने के लिए बैंक खाते का नाम – वैदिक साधन आश्रम, बैंक – कैनरा बैंक, क्लॉक टावर ब्रांच, देहरादून, बैंक खाता संख्या – 2162101001530 rFkk तथा IFSC कोड CNRB 0002162 है। यज्ञ करने में पुण्य होता है यह तो हम सब जानते हैं। यदि आप इस पुण्य कार्य में सहयोग करते हैं तो कुछ न कुछ पुण्य तो आपको इसमें अवश्य होगा। यहां जो यज्ञ हुआ करेगा उसके पुण्य में आप भी भागी हो सकते हैं। अतः उदारता से विचार कर अपनी भावनाओं को क्रियात्मक रूप देने का कष्ट करें। यह हमारा आपसे अनुरोध है। हम आशा करते हैं कि आप आश्रम के आगामी मई, 2017 के ग्रीष्मोत्सव में आकर इस यज्ञशाला में बैठकर यज्ञ का आनन्द लेंगे। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं।
–मनमोहन कुमार आर्य