कविता

मां तू ही

मेरी औकात नहीं मैं तुझको
साथ अपने रख पाउं ।
अभी तो मैं बच्चा हूं मां
तू कहे तो साथ तेरे रह जाउं ।
दुनिया में तुम मुझे लेकर आई हो
फिर पाल-पोशकर किया बड़ा ।
ऊंगली थाम सीखाया पांव पे होना खड़ा
मां,मेरे हर धड़कन तुम ही समाई हो ।
एक पल जो न देखूं चेहरा तेरा
दिल गुमसुम सा हो जाता है ।
तू जो मुस्काती न रहे मां
मेरा मन बड़ा घबराता है ।
तेरी मुसकान जीवन का धन है मेरा
तेरी खुशीयां मेरे लिए अमृत है ।
तू पास रहे तो यहीं स्वर्ग
बिन तेरे स्वर्ग भी मुझे अनुचित है ।।

मुकेश सिंह
सिलापथार, असम
09706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl