ये जिंदगी
हरिश्चंद्र के वचन जैसी,
मीरा बाई के भजन जैसी,
है ये जिंदगी।
ऋषियों के तप जैसी,
राम नाम के जप जैसी,
है ये जिंदगी।
श्री कृष्ण के योग जैसी,
ईश्वर के छप्पन भोग जैसी,
है ये जिंदगी।
श्री राम केे धीरज जैसी,
जल से भरे नीरज जैसी,
है ये जिंदगी।
रावण के ज्ञान जैसी,
योगियों के ध्यान जैसी,
है ये जिंदगी।
कामधेनु गऊ जैसी,
ब्राह्मण के जनेऊ जैसी,
है ये जिंदगी।
गंगा मैया की पवित्रता जैसी,
कृष्ण सुदामा की मित्रता जैसी,
है ये जिंदगी।
सर्दियों की धुप जैसी,
मोहिनी के रूप जैसी,
है ये जिंदगी।
भीष्म की प्रतिज्ञा जैसी,
सीता की अग्नि परीक्षा जैसी,
है ये जिंदगी।
द्रोपदी के खुले केश जैसी,
अर्जुन के जनाना भेष जैसी,
है ये जिंदगी।
भगत सिंह की मोहब्बत जैसी,
नेता जी की मौत की हकीकत जैसी,
है ये जिंदगी।
श्री लख्मीचंद की कविताई जैसी,
श्री मांगे राम के छंद मिलाई जैसी,
है ये जिंदगी।
गुरु रणबीर सिंह के गाने जैसी,
‘सुलक्षणा’ के कलम चलाने जैसी,
है ये जिंदगी।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत