हिंद की सेना
खून से लथपथ थी वो भूमि
वीरों ने जहां प्राण गवाएं ।
गर्व से लहराता रहा तिरंगा
जब दुश्मन ने थे शीश झुकाए ।
वो एक-एक बम बरसाते थे
उनके सैंकड़ों मारे जाते थे ।
धरती हुई थी लाल जब
उनके चिथड़े हवा में लहराते थे ।
हिन्द के वीर जवानों से
महंगा पड़ा था उनको वैर ।
लाशों का अम्बार लगाकर
चीख रहे थे देशी शेर ।
मुठ्ठी बंधी हुई थी उनकी
नही तो दुनिया हिला देते ।
पीओके क्या चीज है ‘सनम’
वे कराची हिंद में मिला लेते ।
हिंदी शेरों की एक आजादी
उनको रास न आएगी ।
फिर मिटेगा ऐसे पाकिस्तान
इतिहास भी थड़-थड़ाएगी ।
हवाएं जिसकी गाथा सुनाएं
गंगा कहे जिसकी कहानी है ।
जो सूरज से तपते हैं वे
भारत के वीर बलिदानी हैं ।
वे तेजस्वी हैं ओजस्वी हैं
वीरों में महावीर हैं ।
भारतीय सेना तुम्हे नमन
तुम्हारे शान में नत मेरा सिर है ।
— मुकेश सिंह
सिलापथार (असम)
मो०- 9706838045