सोच सुन्दर रखो
मापनी – २१२ २१२
गीत गाया करें।
मन लुभाया करें ।।
प्रेम हो साधना ।
दिल लगाया करें।।
काम दिल मे नहीं ।
मीत भाया करें।।
सोच सुन्दर रखो ।
दिल हँसाया करें।।
प्रेम प्यारी डगर ।
ज्ञान काया करें ।।
राम रमते जहाँ ।
दिल सजाया करें।।
गीत ऐसा लिखो ।
राम आया करें ।।
चाह मन मे सदा ।
श्याम भाया करें ।।
भाव हो साधना।
राज गाया करें ।।
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी’