हायकू
हाइकू (575)
हैरान धरा,
फसलों की जगह,
मकान उगा !
सिमटे घन,
जब रूठ धरा से,
कृषक मरा !
छायी बदरी,
व्याकुल फिर मन,
गीला तकिया !
अंजु गुप्ता
हाइकू (575)
हैरान धरा,
फसलों की जगह,
मकान उगा !
सिमटे घन,
जब रूठ धरा से,
कृषक मरा !
छायी बदरी,
व्याकुल फिर मन,
गीला तकिया !
अंजु गुप्ता