ज्ञानचंद मर्मज्ञ की कृति ‘सम्भव है’ उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत
“जय विजय” से जुड़े हुए बैंगलोर के साहित्यकार एवं कवि ज्ञानचंद मर्मज्ञ के निबन्ध संग्रह “सम्भव है “ को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा ‘गुलाब राय सर्जना पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया ! सम्मान स्वरुप प्रशस्ति पत्र के साथ 20,000/= रुपये की नकद राशि भेंट की गयी !
ज्ञातव्य हो कि मर्मज्ञ के इस निबंध संग्रह के दो निबंध ” कबूतर की व्यथा” और ” काश हम थोड़ा इंसान बन पाए होते” को बैंगलोर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया गया है और कई जगहों पर इस पर परिचर्चा भी आयोजित की जा रही है ! देश के साहित्यकारों ने इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है !