क्षणिका

सूना सूना बाजार है

आलू के बदले दवा दीजिए

मूली के बदले साबुन दीजिए

चने के बदले पेन कापी किताब दिजिए

साहब दो हजार की नोट के फुटकर दीजिए

नगदी का बाजार समाप्त है

सूना सूना बाजार है

लगता है

बाजार बंद बंद बंद ही है

बस बीस दिन और शेष है

काट लीजिए

बस एक बार मोदी जी की बात मान लीजिए

धन्यवाद

 

अनिल कुमार सोनी

जन्मतिथि :01.07.1960 शहर/गाँव:पाटन जबलपुर शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक