गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : है सलाम !

कहीं अँधेरा कहीं हुआ उजाला होगा।
कब तलक मौत को अपनी टाला होगा।

है सलाम तुम्हें शहीदो शत शत नमन;
कायरों से वतन को संभाला होगा।

आखिरी सांस तक लड़ते रहे तुम यूं;
सांसों को अपनी फिर खंगाला होगा।

परवाह ना अपने ज़ख्मों की ज़रा भी;
तुमसे बड़ा कोई न दिलवाला होगा।

लहू की आखिरी बूंद तक लड़ते रहे;
यूं दुश्मन को वतन से निकाला होगा।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |