ग़ज़ल : है सलाम !
कहीं अँधेरा कहीं हुआ उजाला होगा।
कब तलक मौत को अपनी टाला होगा।
है सलाम तुम्हें शहीदो शत शत नमन;
कायरों से वतन को संभाला होगा।
आखिरी सांस तक लड़ते रहे तुम यूं;
सांसों को अपनी फिर खंगाला होगा।
परवाह ना अपने ज़ख्मों की ज़रा भी;
तुमसे बड़ा कोई न दिलवाला होगा।
लहू की आखिरी बूंद तक लड़ते रहे;
यूं दुश्मन को वतन से निकाला होगा।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !