पुल
”पापा, पहले आप बुआ जी को बहुत प्यार से रक्षा बंधन और भाई दूज पर साल में दो बार बुलाते थे, अब चार साल हो गए हैं, हमने बुआ जी को देखा तक नहीं है, बोलो ना पापा, बुआ जी को कब बुलाएंगे?” जतिन ने मनुहार करते हुए पूछा.
”तू अपनी पढ़ाई में मस्त रहा कर, इधर-उधर की बातों में दिमाग खराब मत किया कर.” पापा ने पीछा छुड़ाने की गरज से कहा.
”पापा, आपने ही तो कहा था- ”रिश्ते खूबसूरत पुल की तरह होते हैं. पुल चलता रहे, तो उसकी खूबसूरती कायम रहती है, वरना……..” जतिन से आगे बोला नहीं गया.
पापा ने उसी समय फोन घुमाकर अपनी बहिन को जल्दी से मायके आने के लिए मनुहार की.”