तन्हाई
*मुक्तक*
जब तक धरा धारा मिटती नहीं
लगा लो जोर स्त्रियाँ टूटती नहीं
भीड़ रिश्तों ,जीती जाती तन्हाई
तपी ऐसी भट्ठी में कि फूटती नहीं
*मुक्तक*
जब तक धरा धारा मिटती नहीं
लगा लो जोर स्त्रियाँ टूटती नहीं
भीड़ रिश्तों ,जीती जाती तन्हाई
तपी ऐसी भट्ठी में कि फूटती नहीं