मनहरण_घनाक्षरी
तुम्ही छाँव तुम्ही धूप, तुम्ही मेरा प्रतिरूप
तुम्ही मेरी आन-बान, जीवन की आस हो
जीने का ये रंग-ढंग, साँस-साँस बजे चंग
तुम्ही अरमान और, तुम्ही अहसास हो ।
मंदिर की ढोल-थाप, घण्टियों का सुर-नाद
आरती मधुर गान, तुम्ही अरदास हो
भोर की आराधना भी,साँझ की हो कामना भी,
जीने का संज्ञान तुम,अनबुझी प्यास हो।
———–*अनहद गुंजन गूँज*———–