सामाजिक

जीवन जीना है तो हो कुछ नया नया पुराना भी

 जीवन जीना है तो हो कुछ नया नया पुराना भी। जन्म से ही शुरुआत करते है माँ मिलती है अमृत पिलाती है लोरियां सुना कर हम को सुलाती है कठिनाइयों के समय भी हमें खुशियाँ देती है बड़े होने पर हाँ हम माँ को भूल जाते है नये नये की चकाचौंध में पुराने भी भूल जाते है संस्कार जीवन जीना है तो हो कुछ नया नया पुराना भी। माता पिता भी पुत्र और बेटियों में अंतर किया करते है समाप्त हो गया वह अंतर अब मंत्र बन गया जीवन जीना तो हो कुछ नया नया पुराना भी। भारत में छुआछूत की भावना अछूतों का कुंआ होता था मंदिरों में प्रवेश वर्जित था अछूतों के लिए समझदार हुये अब क्योंकि जीवन जीना है तो हो कुछ नया नया पुराना भी। सेंध लगाई मुद्रा में काला धन व नकली मुद्रा ने बेईमानों की कमर तोड़ने नोटबंदी बना अस्त्र पाई हमने नई मुद्रा कड़क कड़क जीवन जीना है तो हो कुछ नया नया पुराना भी।    

अनिल कुमार सोनी

जन्मतिथि :01.07.1960 शहर/गाँव:पाटन जबलपुर शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक