स्वास्थ्य

स्नान की सही विधि

अधिकांश लोग स्नान को एक फालतू कर्मकांड की तरह निबटाते हैं, जबकि इसे स्वास्थ्य प्राप्ति और उसके रखरखाव के एक अनिवार्य साधन की तरह किया जाना चाहिए। नित्य स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है। जिस दिन हम स्नान नहीं करते, उस दिन पूरा शरीर शिथिल रहता है। इसी से पता चलता है कि स्नान कितना महत्वपूर्ण और आवश्यक है। यहाँ मैं स्नान की सही विधि बता रहा हूँ, जिसका पालन मैं स्वयं अनेक वर्षों से कर रहा हूं।

स्नान के लिए जल

सबसे पहली बात तो यह है कि नहाने के लिए जो जल लिया जाये, वह शरीर के तापमान से थोड़ा ठंडा होना चाहिए। किसी भी मौसम में अधिक गर्म और अधिक ठंडे जल से स्नान करना हानिकारक है। सर्दी के मौसम में पानी बहुत ठंडा होता है। उसमें उतना ही गर्म पानी मिलाना चाहिए कि पानी का तापमान शरीर के लगभग बराबर हो जाय अर्थात् हाथ डुबोने पर ठंडा और गर्म न लगे। गर्म जल से स्नान करना मुख्य रूप से त्वचा और सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। ऐसा करने वाले व्यक्तियों को सिर के बाल झड़ने की शिकायत नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसका कारण वे स्वयं हैं।

स्नान के लिए जल लगभग १२ से १५ लीटर की मात्रा में एक टब या बाल्टी में भर लेना चाहिए। उसमें से किसी लोटे या मग से जल निकालकर शरीर पर डालना चाहिए। कई लोग पाइप या फ़व्वारे से स्नान करते हैं। इससे भले ही उनको कुछ ख़ुशी मिलती हो, पर स्वास्थ्य की दृष्टि से इससे स्नान का पूरा लाभ नहीं मिलता। दूसरी ओर इससे बहुमूल्य जल भी बरबाद होता है। इसलिए हमेशा बाल्टी में पानी लेकर स्नान करना चाहिए।

शरीर को गर्म करना

यदि स्नान से पूर्व शरीर को खाली हाथों से या किसी रूमाल जैसे सूखे कपडे से ५ मिनट तक हल्के हल्के रगड़कर गर्म कर लिया जाये, तो स्नान का लाभ अनेक गुना बढ़ जाता है।

रगड़कर शरीर गर्म करने के बाद स्नान के लिए बैठ जाइए। पहले गले के अन्दर अँगूठा या दो अँगुली डालकर अपने काग और तालू की मालिश कीजिए। इससे जमा हुआ कफ निकलेगा और आँखों की रोशनी भी बढ़ेगी। अब अपने मुँह में लगभग एक-डेढ़ घूँट पानी भर लीजिए। यह पानी स्नान पूरा होने तक भरे रहने दीजिए। इसको तभी उगलना चाहिए जब आप शरीर पौंछ चुके हों। इसको पीना उचित नहीं होगा।

मुख्य स्नान

नहाने के लिए साबुन का उपयोग करना बहुत हानिकारक है। लगभग सभी साबुन केमीकलों से बने होते हैं जो हमारे रोमछिद्रों में घुसकर रक्त और त्वचा को दूषित करते हैं। इसलिए साबुन के स्थान पर हमें रूमाल के आकार के खुरदरे तौलिए को पानी में डुबो-डुबोकर उससे शरीर के सभी अंगों को रगड़ना चाहिए।

सबसे पहले एक-दो लोटे पानी सिर पर डालकर सारे शरीर को हाथ से रगड़ते हुए धोइए। फिर तौलिए का टुकड़ा गीला करके एक-एक करके क्रमश: हाथों, पैरों, सीना और पेट, पीठ और अंत में मुँह और सिर को रगड़ना चाहिए। इससे रोमकूप खुल जायेंगे, पसीने के द्वारा गन्दगी भी निकलेगी और रगड़ने से मालिश का लाभ भी मिलेगा।

स्नान कर लेने के बाद किसी सूखे तौलिए से शरीर को रगड़कर पौंछ लीजिए और कपडे पहन लीजिए। इस निधि से स्नान करने पर आपको स्नान का पूरा लाभ मिलेगा। इसका सही अनुभव ऐसा करके देखने पर ही किया जा सकता है।

विजय कुमार सिंघल
मार्गशीर्ष शु. १२, सं. २०७३ वि. (११ दिसम्बर, २०१६)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]