राजनीति

क्या नोटबंदी से भाजपा के चुनाव पर पड़ेगा असर?

उप्र में चुनाव प्रचार अब धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है तथा सभी दलों की गतिविधियां भी उसी हिसाब से तेज हो रही हैं। पीएम मोदी ने जब सेे कालेधन, आतंकवाद व भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए 500 व एक हजार के नोट बंद करने का ऐलान किया है तब से वह अपने विरोधियों के केंद्रबिंदु बन गये हैं। बसपा नेत्री मायावती जहां नोटबंदी के बाद और अधिक जहर उगलने लग गयी हैं, वहीं आम आदमी पाटी के नेता अरविंद केजरीवाल तो अपने आपे से ही बाहर हो गये हैं। जहां मोदी विरोधियों ने नोटबंदी को मुद्दा बना लिया है, वहीं नोटबंदी के समर्थकों ने भी इसे मुद्दा बना लिया है। ऐसा लग रहा है कि अब नोटबंदी, कालाधन व भ्रष्टाचार ही उप्र के चुनाव के मुख्य मुद्दे होंगे।

पीएम मोदी व भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह अपनी सभी रैलियों में नोटबंदी के पक्ष में जोरदार तर्क दे रहे हैं। एक नजरिये से देखा जाये तो नोटबंदी से सबसे अधिक फायदा अभी समाजवादी दल को ही हुआ, क्योंकि नोटबंदी के बाद ही उनके कुनबे में लड़ाई बंद हो गयी है। नोटबंदी के बाद से अब तक राजधानी लखनऊ में ममता बनर्जी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक रैली कर चुके हैं। इन सभी नेताओं की रैलियां फ्लाॅप तो अवश्य हो गयी हैं लेकिन नेताओं ने जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया है वह राजनैतिक शालीनता के खिलाफ है, मर्यादा के खिलाफ हैं। नोटबंदी के प्रश्न पर सभी दल भाजपा को कठघरे में खड़ा करने का जबर्दस्त प्रयास कर रहे हैं। पीएम मोदी अपनी रैलियों में कह रहे हैं कि हम कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर सपा व बसपा हमारे खिलाफ पूरी ताकत के साथ लड़ रहे हैं। एक प्रकार से पीएम मोदी अपनी रैलियों में अपने विरोधियों को भी कुछ सीमा तक कालेधन के समर्थन में खड़ा करने में सफल होते दिखायी पड़ रहे है। विगत दिनों पीएम मोदी ने कुशीनगर और बहराइच में विशाल परिवर्तन रैलियों को सम्बोधित करके सभी राजनैतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

यही कारण है कि आज मोदी विरोधी पूरी ताकत के साथ आम जनता को बरगलाने का काम करने में लगे हैं। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने दावा किया है कि पीएम मोदी ने बिड़ला से 25 करोड़ और सहारा से 40 करोड़ की रिश्वत ली है। केजरीवाल ने तो रैली के दौरान अपनी सारी मर्यादा को ही लांघ दिया और कहा कि लानत है ऐसे बेटे पर जो अपनी मां को लाइन में लगा दे। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा सत्ता और पैसे की लालची पार्टी है। केजरीवाल ने नोटबंदी की आड़ में अमीर दोस्तों को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया है। वैसे भी यह आरोप सभी विरोधी लगा रहे हैं। इस आरोप में भी कोई नयी बात नहीं है। वह हर बार सबूत देने की बात कहते हैं लेकिन जब समय आता है तो वह भी भाग खड़े होते हैं।

आज दिल्ली के सीएम केजरीवाल के पास पीएम मोदी को किसी न किसी प्रकार से गाली देने के अलावा कोई काम नहीं बचा है। उनका दिल्ली में मन नहीं लग रहा है। दिल्ली के कम से कम 40 विधायकों की सदस्यता अभी भी खतरे में है। अदालतों में कई मामलों पर कार्यवाही आगे बढ़ रही है। केजरीवाल आधुनिक युग का शिशुपाल बन गया है । यह वह शिशुपाल है जिसने महाभारत काल में कृष्ण जी को गालियां देना जब प्रारम्भ किया था तो 100वीं गाली में उसका सिर धड़़ से स्वयं भगवान ने ही अलग कर दिया था। आज केजरीवाल सरीखे नेता जनता को किसी भी प्रकार से भड़का नहीं सकते। यह अलग बात है कि केजरीवाल और ममता सरीखे नेता कालेधन के खिलाफ लड़ाई को कुछ सीमा तक डैमेज कर सकते है, जिसकी वह पूरी कोशिश कर रहे हैं।

कालेधन के खिलाफ लड़ाई को डैमेज करने में सपा व बसपा भी कमजोर नहीं दिख रही है। नोटबंदी के बाद सपा को भी अपना रास्ता साफ नजर आ रहा है तो बसपा चकाचैंध हुई जा रही है। सपा नेता अपना दुःख दर्द भूलकर अब पूरे उत्साह के साथ भाजपा के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो एक कदम आगे जाकर यहां तक कह डाला था कि मंदी के दौर मेें व जरूरत पड़ने पर कालाधन ही काम आता है। अभी जब पीएम मोदी ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग की शुरूआत नहीं की थी तो यही दल कहते थे कि पीएम मोदी कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ कर नहीं रहे।

प्रदेश की राजनीति में सभी दलों ने नोटबंदी के खिलाफ जमकर जहर उगलना शुरू कर दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि पीएम मोदी की योजना से 90 फीसदी जनता नाराज हो गयी है। मोदी ने प्रदेश की जनता को फकीर बना दिया है। आज यह बात पूरा प्रदेश जानता है कि प्रदेश की राजनीति में किन-किन दलों की सांसें कालेधन के साम्राज्य पर ही टिकी हुयी हैं। जिस प्रकार से मोदी विरोधियों ने नोटबंदी को मुद्दा बना लिया है उससे भाजपा व संघ कार्यकर्ताओं में भी कुछ सीमा तक संदेह के बादल उठने लगे हैं तथा इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज भी दी गयी है, जिसमें यह समझाया गया है कि उप्र के चुनाव कुछ समय के लिये टाल दिये जायें तथा कुछ और साहसिक कदम उठाकर चुनाव जीतने का प्रबंध करना चाहिये। लेकिन फिलहाल पीएम मोदी बेफ्रिक हैं। पीएम का कहना है कि यह लड़ाई अभी हम और आगे तक ले जाने वाले हैं। हमें जनता का पूरा सहयोग मिल रहा है।

सभी प्रकार के दबावों को खारिज करते हुए प्रदेश भर में भाजपा की परिवर्तन रैलियों पूरे उत्साह के साथ चल रही है। अभी हाल की ही रैली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया कि बेशक सभी दल एक साथ हो जायें तथा भाजपा को गाली दें, तो भी भाजपा की ही सरकार बनेगी और प्रदेश में वास्तविक परिवर्तन बीजेपी ही लायेगी। उधर भाजपा में दूसरे दलों से आने वाले लोगों की रफ्तार में कोई कमी नहीं आयी है। प्रदेश मेें भाजपा के प्रचार अभियान को नित नये कलेवर में रंगा जा रहा है। 20 जिलों में भाजपा कमल मेला लगाने जा रही है जिसमें पीएम मोदी की योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जायेगा। चुनाव अभियान को गति प्रदान करने के लिए बाइक्स का भी प्रयोग किया जाने वाला है। अभी भाजपा के तरकश में कई तीर हैं। विरोधी तो विरोध करेंगे ही। विरोधी कालेधन की लड़ाई को दूसरी तरफ मोड़ना चाह रहे हैं, जिसमे वे कितने सफल होते हैं यह तो आने वाल समय ही बतायेगा।

मृत्युंजय दीक्षित