गीत/नवगीत

मिले ना कोई नाम

मिले ना कोई नाम,
मैं ढूँढा सारे धाम,
तुझे पुकारूँ गली-गली मैं,
हर सुबह, हर शाम।

मन चाहे वीणा कहना,
पर वाणी बात न माने

— शरद सुनेरी