नजरों की खता है न तिरी न मोरी
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नज़रों की खता है न तिरी न मोरी |
बंधन प्रीत की है नहीं कोई चोरी |
ना मैं तोड़ पाई ना तुम मोड़ पाये ,
स्वयं मजबूत होती गई प्रीत डोरी |
काग़ज़ हैं कुआंरे आओ कुछ लिखो
कहो तो मैं करूँ बिनती करजोरी
तुम लिखो गीत मैं लिखूंगी गीतिका
अक्षरों से कर कभी-कभी बलजोरी
शब्दों से सजाओ माँग सिंदूरी
गीत से कविता करेगी गठजोरी