सुनो न प्रियतम
सुनो ना प्रियतम नेह डोर अब बंधी है तुमसे
प्रीत हॄदय की धड़कनों में ध्वनि छिड़ी है तुमसे
चांद तारे सजी बिंदिया चमके जैसे बिजुरी
पिया मेरी मांग सिंदूरी लाल सजी है तुमसे
शब्द संधि कर छन्द में सज लिखे नई गीत गज़ल
जिंदगी की सुर सरगम संगीत बनी है तुमसे
कंगन खनक खनक कर पुकारती हैं तुम्हें पिया
पायल की रूनझुन घुंघरू भी छनकी है तुमसे
सुनो सूरज किरणें तेरे पथ पर संग चली हैं
ज्यों ही तुम उगे गगन में वे भी खिली हैं तुमसे
— किरण सिंह