इन्सान
कैसा है इन्सान ?
क्या करता है इन्सान ?
इनका क्या वजूद है ?
इनका कोई धर्म है ?
इनकी कोई जाती है ?
किसने बनाया इसे ?
क्यों बनाया इसे ?
कहाँ से आ गये ?
पहले क्या करते थे ?
अब क्या करते हैं ?
यही प्रश्न कभी-कभी,
मेरे मन में उठते हैं।
मुझे ऐसा महसूस होता है,
इन्सान हैवान बन बैठा है,
हाँ इन्सान,
इन्सान को ही नोचता है
यह अपने मार्ग से भटक गया है,
अपने वजूद को भूल गया है,
कई धर्म,
कई जातियाँ,
कई समुदाय,
कई वर्ग,
बान लिया है सदियों से,
कहा जाता है,
सृष्टि के रचनाकार ने,
पाँच तत्वों को मिलाकर,
इन्हें तैयार किया है।
एक-
अच्छा संदेश,
अच्छा कार्य,
अच्छा उपदेश,
अच्छा व्यवहार,
करने के लिए।
पहले ईमानदारी पूर्वक,
जीवन यापन करतें थे।
चाहे भले ही,
कच्चा मांस,
अधपका भोजन,
क्यों न खाना हो,
अधनग्न शरीर क्यों न,
लेकर घुमना हो।
थोड़ी सी जानकारी क्या हुई,
आपसी विरोधाभास,
कोई इमान नहीं रहा,
चोरी,हत्या, लूट,
भ्रष्टाचार पाप,
यहाँ तक कि,
बलात्कार जैसी जधन्य
अपराध को भी जन्म देते हैं
और फक्र से कहते हैं
कि हम इन्सान हैं।
ये इन्सान अब शैतान की,
श्रेणी में आ गए हैं।
@रमेश कुमार सिंह
@ २५-०८-२०१६