गीत : साथी
साथी वह जो हर सुख -दुख में, हरदम साथ निभाये l
सही- गलत को जाँच परख़कर, सच्ची राह दिखाये ll
नहीं चाहिए सोना – चाँदी, गाड़ी ,घोड़ा , हाथी l
दे दो भगवन इस निर्धन को, सच्चा सा इक साथी ll
जिसकी गोदी में सिर रखकर, सुन्दर सपना देखे l
निश्छल – सीमुस्कान होंठ पर, बारम्बार निरेखे ll
जिसको पाकर मानस की, सारी पीड़ा मिट जाये l
साथी वह जो हर सुख- दुख में, हरदम साथ निभाये l
सही -गलत को जाँच परख़कर, सच्ची राह दिखाये ll
दिल में सच्चा भाव, हाथ में कर्म, और हो ज्ञानी l
फौलादी हो काया उसकी, बोले मधुमय बानी ll
सिर पर हाथ फेरकर बोले, मित्र नहीं घबराओ l
चिंता को चिंता करने दो, तुम खुश हो मुस्काओ ll
हँसी – खुशी से झूम उठे मन, आकर गले लगाये l
साथी वह जो हर सुख- दुख में हरदम साथ निभायेl
सही- गलत को जाँच परख़कर, सच्ची राह दिखाये ll
मुझपर मेरे से भी बढ़कर, रहे भरोसा उसको l
उसके ऊपर उससे बढ़कर, रहे भरोसा मुझको ll
मात- पिता गुरु -भाई के सम, हो उसका मन पावन l
मैं हूँ रंक सुदामा तो वह, है केशव मनभावन ll
जब भी मिलें मीत आपस में, ‘अवध’ दिवाली आये l
साथी वह जो हर सुख -दुख में, हरदम साथ निभाये ll
सही- गलत को जाँच परख़कर, सच्ची राह दिखाये ll
— अवधेश कुमार ‘अवध’