नूतन तस्वीर
मैं निकल पड़ा हूं बाजारों में अमन – चैन क्रय करने।भेदभाव के कठिन समय में, सबकी जय जय करने।।सबकी जय
Read Moreमैं निकल पड़ा हूं बाजारों में अमन – चैन क्रय करने।भेदभाव के कठिन समय में, सबकी जय जय करने।।सबकी जय
Read Moreथाल सजाकर बहन कह रही,आज बँधालो राखी।इस राखी में छुपी हुई है, अरमानों की साखी।।चंदन रोरी अक्षत मिसरी, आकुल कच्चे-धागे।अगर
Read Moreसावन के महीने में शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन राखी का त्यौहार न सिर्फ भारत बल्कि कई अन्य देशों में
Read Moreयह प्रश्न उस समय भी जन साधारण की नींद हराम कर रहा था और आज भी कर रहा है। संबल
Read Moreहे पार्थ! उठो संग्राम करो,ये अपने नहीं, पराये हैं। गुरु चक्रव्यूह लेकर गर्वित,मित्रता -बोझ में कर्ण दबा।हैं भीष्म प्रतिज्ञा में
Read Moreसामाजिक, पारिवारिक एवं सांस्कृतिक सतत अनैच्छिक अवमूल्यन के दौर में ‘राम ही आधार’ पर मन एवं मनोरथ दोनों अटक जाते
Read More“बीज में वृक्ष के सारे गुण हैं छुपे, जानने के लिए थोड़ा मन चाहिए। देखना हो अगर कुदरती खेल तो,
Read Moreमैं विश्वनाथ का नंदी हूँ, दे दो मेरा अधिकार मुझे। वापी में हैं मेरे बाबा, कर दो सम्मुख-साकार मुझे।। अब
Read Moreपरिवर्तन का जोश भरा था, कुर्बानी के तेवर में। उसने केवल कीमत देखी, मंगलसूत्री जेवर में।। हम खुशनसीब हैं कि
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